लॉकडाउन का असर- अभिभावकों को बदलना होगा बच्चों के प्रति अपना व्यवहार, ये है बड़ी वजह

लंबे लॉकडाउन से बच्चों का व्यवहार बदलने लगा है। टीवी और मोबाइल गेम से भी मोह भंग हो रहा है। बच्चे कम बोल रहे हैं और चिड़चिड़े होते जा रहे हैं। ऐसे में माता-पिता को इनकी देखभाल का तरीका बदलना होगा। मनोवैज्ञानिकों का पैनल काउंसिलिंग के लिए आ रहीं लगातार कॉल से इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि रात-दिन घरों के अंदर कैद रहने के कारण बच्चों के व्यवहार में कई बदलाव नजर आने लगे हैं।
ऐसा इसलिए हो रहा है कि उनके मन मुताबिक न तो खाने को मिल रहा है और न ही घर से बाहर जाने की उनकी मंशा पूरी हो पा रही है। लगातार एक ही स्थान पर रहने से वे घुटन महसूस करने लगे हैं। पूर्व मंडलीय मनोवैज्ञानिक डॉ. एलके सिंह ने अपने अध्ययन में बताया कि जैसे-जैसे लॉकडाउन बढ़ता जा रहा है, उनके अंदर किसी न किसी बात को लेकर तनाव बढ़ता जा रहा है।


व्यवहार में आ रहे खास बदलाव
-बच्चे चंचल होते हैं लेकिन अब वे शैतानी नहीं कर रहे
-सुबह देर तक सोना चाहते हैं, उठाने पर चिड़चिड़ा रहे
-अगर उठ गए तो काम खत्म होते ही फिर सोने का मन
-टीवी और मोबाइल से भी मोह भंग, देखना नहीं चाहते
-माता-पिता से बात-बात पर झगड़ रहे, नहीं मानते कहना
-खेलना भी नहीं चाहते, किताबों से भी खत्म हो रही दोस्ती
-जहां एक से ज्यादा बच्चे, वहां आपस में झगड़ नहीं रहे
- एक दूसरे से बात भी नहीं करते, खेलना भी बंद कर दिया


Effect of Covid-19 lockdown: Parents need to change their behavior ...


मां-बाप देखभाल में करें यह बदलाव
-बच्चों को अपने साथ इन्वॉल्व करें, घर का काम कराएं
-रीजनिंग के  सवाल तैयार करें साथ बैठकर हल कराएं
-उत्सुकता वाले सवाल पूछें, सवाल पूछने का मौका भी दें
-जैसे पूछें कि जब जीरो नहीं था तो गिनती कैसे होती थी
-ऐसा सिर्फ एक दिन न करें, उत्सुकता को बरकरार रखें
-बच्चों को फ्रेश रखने के लिए रोज नहलाएं, कपड़े बदलें
-नाश्ता-खाना बच्चों के साथ करें, इनकी पसंद भी पूछें
- बच्चों से उनकी पसंद की चीज बनाने का तरीका भी पूछें 


इनसे भी मिल सकती है मदद
-बच्चों से पूछें कि एक सप्ताह में उन्होंने क्या-क्या खाया
-किस दिन का नाश्ता कैसा था, खाने में क्या पसंद आया
-साथ में टीवी देखें, जो भी देखें उसके बारे में बच्चों से पूछें
-बच्चों के साथ ऐसे मुद्दों पर बहस करें, उनका जवाब जानें
-इसी माध्यम से उन्हें सही बात बताएं, मोटीवेट करते रहें
-उनके दोस्तों के बारे में पूछें, बच्चों के मन की बात करें
केस-01
कक्षा 4 का एक बच्चा दिन में तीन-चार घंटे कार्टून चैनल देखता था। गेम खेलता था। ऑनलाइन पढ़ाई भी कर रहा था। अब वह टीवी-मोबाइल से दूर हो गया। ऑनलाइन पढ़ाई में भी मन नहीं लगाता है। मौका पाते ही सो जाता है। 
केस-02
कक्षा 8 का छात्र अब माता-पिता का कहना नहीं सुनता। पढ़ाई के लिए या कोई बात करने को कहा जाए तो वह लड़ने लगता है। घर का सामान फेंकने लगता है। चिड़चिड़ापन अधिक है। हंसता भी नहीं है।
कोट -
बच्चों को यह नहीं लगना चाहिए कि वह घर में अलग हैं। मां-बाप की ड्यूटी बच्चों के साथ संवाद रखने और उन्हें ऑब्जर्व करने की है। वह आपके साथ जुड़े रहेंगे तो उन्हें खाली समय नहीं मिलेगा। वह खाली रहेंगे तो व्यवहार बदलता जाएगा। इसका कारण है कि बाहर न निकलने से मन मस्तिष्क प्रभावित होता है।