योग से शारीरिक-मानसिक मजबूती बढ़ने पर कमजोर होगा कोरोना, योग गुरु ने बताए महामारी को हराने के तरीके

Corona will be weak if you increase physical and mental strength ... 


कोरोना से लड़ने के लिये जरूरी रोग प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा करने के साथ योगासन मानसिक शक्ति का विकास कर लोगों को अवसाद के खतरे से बचाने में महती भूमिका अदा कर सकता है। योग गुरू गुलशन कुमार ने गुरूवार को बताया कि दुनिया में आतंक का पयार्य बने कोरोना वायरस यानी कोविड- 19 से लड़ने के लिये शारीरिक और मानसिक क्षमता का विकास जरूरी है और योग के जरिये इन दोनो ही शक्तियों को हासिल किया जा सकता है। 
उन्होने कहा कि कोविड-19 के चलते देश पिछले डेढ़ महीने से लाकडाउन की स्थिति का सामना कर रहा है। ऐसे हालात देश के लोग पहली बार झेल रहे हैं। एक तरफ वायरस से संक्रमित होने का डर है तो दूसरी ओर लाकडाउन के कारण रोजगार गंवाने का भय दिलों में घर कर रहा है। केन्द्र और राज्य सरकारें अनचाहे वायरस का नेटवर्क तोड़ने की भरसक कोशिश कर रही हैं लेकिन इसके लिये लोगों को भी हिम्मत दिखानी होगी जिसमें योग उनकी भरपूर मदद कर सकता है। 
 योगी ने कहा कि ऐसे हालात में कमजोर मन वाले लोग जल्दी डिप्रेशन के शिकार हो सकते हैं । योग प्रधानत: मन की चिकित्सा का शास्त्र है जिससे मनोविकारो का निवारण करने के साथ मानसिक शक्तियों का जागरण व मनोबल का संबर्धन होता है। वास्तव में सेरोटोनिन, नोर एपिनेफ्रीन एवं डोपामीन रसायनो  का कम स्तर होना ही डिप्रेसिव बीमारी के लिए जिम्मेदार है। कोरोना के डर और भय से भी हताशा और चिन्ता मे वृद्धि होती है।
उन्होंने बताया " हमारे मस्तिष्क के विद्युत संदेशो को एक न्यूरान से दूसरे न्यूरान के बीच भेजने के लिए कुछ रासायनिक अणु जिन्हें न्यूरोट्रांसमीटर कहते है का स्राव न्यूरान से इस जगह को भरने में किया जाता हैं इसमे ही सेरोटोनिन , नोर एड्रेनलिन तथा डोपामिन शामिल होते है। पाइनियल ग्रंथि मैलाटोनिन हारमोन की अल्प मात्रा होने पर हमारे शरीर की लयबद्धता बिगड जाती हैं हमारी नींद की प्रक्रिया बिगड़ जाती है।" योग समग्र चिकित्सा शास्त्र है। इसमे शारीरिक व्याधियों को दूर करने में बहुत सी प्रक्रियाएं हैं जो रूग्ण एवं दु:ख से त्रस्त मानव जाति के लिए आशा की ज्योति है। डिप्रेशन रोगी को सबसे पहले शारीरिक उष्णता पैदा करने वाले आसन करना चाहिये जैसे सूर्य नमस्कार, ताड़ासन, तिर्यक ताड़ासन, कटि चक्रासन आदि फिर बैठकर पश्चिमोत्तान, मार्जरी आसन, सिंह गर्जना, आदि।
उन्होने कहा कि सूर्य नमस्कार से मांसपेशियों और संधियाँ मजबूत होगी। ताड़ासन से फेफडो को शक्ति मिलेगी , सिंह गर्जना से निभीर्कता आयेगी,कटि चक्रासन से मेरुदण्ड के दर्द दूर होगे। इसके बाद प्राणायाम का अभ्यास करे यह मन जे द्वन्द को दूर करने में सहायक है। शरीर मे पहुंची आक्सीजन द्वारा शरीर का पोषण मिलता है। मस्तिष्क केन्द्र सक्रिय होते है।
श्री कुमार ने कहा कि अवसाद से ग्रसित लोगों को सूर्य भेदन प्राणायाम मदद कर सकता है। हठयोग की मुद्रा एवं बन्ध की प्रक्रियाएं मानसिक संवेदनाओ एवं उत्तेजनाओ को शान्त एवं संयत करती है। इस प्रक्रिया में मानसिक शक्तियों का उर्ध्व गमन करके चिन्ता डर व अवसाद के रोग से मुक्ति मिल जाती है।
उन्होने कहा कि ध्यान तनाव को कम करता हैं, मस्तिष्क को शांत करता है नकारात्मकता को कम करता है तथा एक सकारात्मकता व्यवहार का निमार्ण करता है जो कि नियंत्रण तथा ऊजा र्प्रदान करने वाली विशेषताएं हल्के डिप्रेशन के लक्षणों को कम करती हैं ।
योग गुरू ने कहा कि श्वासो पर ध्यान लगाए जैसे जैसे श्वास भीतर भरना शुरू करे वैसे वैसे आन्तरिक अंगो में हल्का कसाव महसूस हो और श्वास छोड़ने पर अंगों में ढीलापन महसूस हो। इस प्रकार हर रोज यह आसन दस पन्द्रह मिनट करना चाहिये।